कि दुनिया के भीड़ में वो ,
अपने जैसी अकेली है ।।2
हाँ एक जींस वाली ,सूट वाली की सहेली है ।।2
कि मेरे कंगनो की खनक,
उसकी कलाइयो से आती है ।
और मेरे पायल की घुंघरू,
उसके पैरों पर छनकती है ।
हाँ वो मेरी तरह सजती - सवरती नहीं है ।।2
पर फिर भी एक जींस वाली सूट वाली की सहेली है ।।2
वो दूर रह कर भी,
मेरे हर जज़्बात समझती है ।
अपने अकेलेपन का साथी,
वो मुझे समझती है ।
कभी मैं पूछ लूँ,कभी वो मेरा हाल पूछ लेती है,
हाँ एक जींस वाली सूट वाली की सहेली है ।।2
कि साथ में मेरे जब वो रोड क्रॉस करती है ।।2
मासूम बच्ची जैसी,
मेरे दुपट्टे की एक छोर को थाम के चलती है ।
हाँ कभी बड़ी बहन बन के डाटति,
और कभी प्यार से दुलराती है ।
हाँ एक जींस वाली सूट वाली की सहेली है ।।2
की दुनियाँ की भीड़ में वो अपने जैसी अकेली है ।।2
हाँ एक जींस वाली सूट वली की सहेली है ।।2
अपने जैसी अकेली है ।।2
हाँ एक जींस वाली ,सूट वाली की सहेली है ।।2
कि मेरे कंगनो की खनक,
उसकी कलाइयो से आती है ।
और मेरे पायल की घुंघरू,
उसके पैरों पर छनकती है ।
हाँ वो मेरी तरह सजती - सवरती नहीं है ।।2
पर फिर भी एक जींस वाली सूट वाली की सहेली है ।।2
वो दूर रह कर भी,
मेरे हर जज़्बात समझती है ।
अपने अकेलेपन का साथी,
वो मुझे समझती है ।
कभी मैं पूछ लूँ,कभी वो मेरा हाल पूछ लेती है,
हाँ एक जींस वाली सूट वाली की सहेली है ।।2
कि साथ में मेरे जब वो रोड क्रॉस करती है ।।2
मासूम बच्ची जैसी,
मेरे दुपट्टे की एक छोर को थाम के चलती है ।
हाँ कभी बड़ी बहन बन के डाटति,
और कभी प्यार से दुलराती है ।
हाँ एक जींस वाली सूट वाली की सहेली है ।।2
की दुनियाँ की भीड़ में वो अपने जैसी अकेली है ।।2
हाँ एक जींस वाली सूट वली की सहेली है ।।2